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Tuesday, April 9, 2013


बर्मा के रोहिंग्या मुसलमान बड़े अच्छे हैं उनपर कभी आतंकी होने का ठप्पा नही लगेगा क्योंकि इतने नरसंहार के बाद कुछ नही कर रहे, चुपचाप बुद्ध के चेलों से शांति की परिभाषा सीख रहे हैं,




और एक फिलिस्तीन, चेचेन्या, अफगनिस्तान, कश्मीर के मुसलमान हैं की हथियार उठा कर लड़ना शुरू कर देते हैं, अब अफगानियों को ही ले लो, एसा कोन सा गुनाह कर दिया था सोवियत रूस ने बस थोड़े से टेंक लाकर कच्चे मकानों पर चढ़ाए थे .उसकी लाल फोज ने अगर थोड़े से बच्चों ओरतों पर निशाने बाज़ी की प्रेक्टिस कर ली तो कोन सा गुनाह कर लिया आखिर वो महाशक्ति था इतना हक तो बनता है महाशक्तियो का ,,

बेवकूफ अफगानी नोजवानो को ये इज्ज़त अफजाई रास नही आई और एक धार्मिक किताब से गैरत का पाठ पढ़ कर शुरू कर दी आज़ादी की लडाई ..

यही हाल फिलिस्तीनियो का है अरे भाई आज ज़माना इन्साफ का है और इन्साफ है उनके हाथ में जिन्होंने सारी दुनिया को अपनी कोलोनी बनाकर लूटा था

ओ, देहशतगर्दो जब 'वो' कह रहे है की दस हज़ार साल पहले ये सरज़मीन उनकी थी लिहाज़ा अब तुम अपने बाल बच्चो को लेकर निकलो यहाँ से वरना 'उनकी' पंचायत मोजूद है उसके सामने नाइंसाफी हो ही नही सकती उनके सरपंच के इंसाफ की निशानियाँ धरती पर फेली पड़ी हैं , हिरोशिमा नागासाकी से लेकर वियतनाम तक सूडान से लेकर अफगानिस्तान इराक तक ..



पता नही दुनिया की दूसरी कोमों की तरेह ये मुसलमान भी 'सब कुछ' नही मान लेते .........कब तक आतंक फेलाते रहेंगे ?

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