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Monday, August 6, 2012

आओ हम अपनी जड़ों की तरफ लोटें .

आज मुसलमानों में मुख्तलिफ जमातें हैं जो इस्लामी तालीमात को आम कर रही है और लोगो को इस्लामी तालीमात पर अमल करने की ताकीद करती हैं इसी तरेह बहुत सी सियासी पार्टियाँ हैं जो इलेक्शन में अपने नुमाईंदे खड़े करके वोट मांगती हैं ताकि जीत कर मुसलमानों की फलाह के लिए काम करें और सियासी मैदान में मुसलमानों की रहनुमाई कर सके. देखा जाये तो यहाँ साफ़ तोर पर दीन और सियासत अलग अलग हो जाती हैं ..अब हम मुस्लमान जो ये दावा करते हैं हमारी ज़िन्दगी का महवर कुरान और सुन्नत है..हमारे लिए रसूल (सल्लo) की जिंदिगी एक बेहतरीन नमूना है दुनिया में ज़िन्दगी गुजारने का .जब हम अल्लाह के रसूल (सल्लo) की ज़िन्दगी देखते हैं पता चलता है की दीन और सियासत में कोई अलगाव नहीं दीन सियासत से अलग नही हो सकता




तो हम ये किस राह चल पड़े क्या अल्लाह के रसूल (सल्लo) के तरीके से हटकर अपने दिमाग से नए नज़रियात घड़ कर हम फलाह पा लेंगे? अल्लाह की रज़ा हासिल कर लेंगे ? दुनिया और आखिरत की कामयाबी हासिल कर लेंगे. चाहे हम कितने ही मुखलिस क्यों न हो नही कर सकते ,



मुसलमानों का दीनी और सियासी मरकज़ एक ही होना चाहिए जेसा की हमेशा रहा है जब तक मुसलमानों ने यूरोप का नजरिया नही अपनाया था की (यानी मज़हब और सियासत अलग अलग होने चाहिए उन्होंने अपने लिए सियासी सिस्टम जम्हूरियत बनाया जिसमे इन्सान की राये बालातर होती है जबकि इस्लाम में अल्लाह की राये और उसका क़ानून सबसे बाला है) जब मुसलमानों ने अपना हुकुमती निजाम ("खिलाफत" जहाँ से मुस्लमान अपनी दीनी और सियासी दोनों रहनुमाई हासिल करते थे और इख्तिलाफात शुरू होते ही ख़त्म हो जाते थे क्योंकि मरकज़ एक ही था) छोड़ कर गैर का निजाम अपना लिया तो यहीं से हमारा ज़वाल शुरू हो गया. इतनी जमातो और पार्टिओं के होते हुए भी मुस्लमान दोनों मैदानों में पस्त हैं अब इसका हल क्या है. क्या हल ये नही की हम अपनी जड़ों की तरफ लोटें और फिर से अपना सियासी निजाम कायम करें? यानी खिलाफत ए इस्लामिया .एक अल्लाह एक रसूल (सल्लo) एक काबा एक कुरान को मानने वाली क़ोम का एक मरकज़ नहीं होना चाहिए ? क्या इस उम्मत ए मुस्लिमा की एक ज़मीन एक रूलर और आर्मी नही होनी चाहिए जो उम्मत की हिफाज़त करे और दुनिया में अमन ओ अमान कायम करे ?



मैं तमाम पढ़ने वाले मुसलमानों से कमेन्ट चाहता हूँ क्योंकी मसला हम सबसे जुड़ा हुआ है

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